विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के विकास के लिए कार्य कर रही है – दुसी रामकृष्ण राव
मुक्तधारा सभागार, अगरतला, त्रिपुरा में दिनांक 25.फरवरी 2020 को पुरस्कार समारोह सम्पन्न हुआ। विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री रामकृष्ण राव, स्वामी चित्तरजन महाराज, त्रिपुरा के उप मुख्यमंत्री श्री जिश्नू देववर्मा ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। समारोह में मंच पर विद्या भारती शिक्षा समिति के त्रिपुरा के अध्यक्ष डा. शंकर राय, त्रिपुरा के उप मुख्यमंत्री श्री जिश्नू देववर्मा, स्वामी चित्तरंजन महाराज, विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय दुसी रामकृष्ण राव, राष्ट्रीय मंत्री ब्रह्माजी राव, विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष डा. जयकांत शर्मा, पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के मार्गदर्शक श्री लोग्की फांग्चू, समिति के अध्यक्ष श्री सदा दत्त उपस्थित रहे।
स्वर्गीय कृष्णचन्द्र गांधी एक महान समाजसेवी थे। गांधी जी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र सहित देशभर में जनजाति बंधुओं के बीच शिक्षा के दीप जलाने हेतु अपना जीवन समर्पित किया। श्री कृष्णचन्द्र गाँधी जी का जन्म सन् 1921 में उत्तर प्रदेश के मेरठ नगर में हुआ उन्होने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 25 वर्ष पूर्वोत्तर क्षेत्र के अरूणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, असम के पिछड़े क्षेत्रों में भ्रमण कर जनमानस को शिक्षा देने के लिए प्रेरित किया। असम के हाफलांग में पूर्वोत्तर क्षेत्र के जनजातीय विद्यार्थियों हेतु आवासीय विद्यालय की स्थापना की गांधी जी की प्रेरणा से पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति की स्थापना हुई।
कृष्ण चंद्र गाँधी पुरस्कार वर्ष 2007 से निरंतर पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति द्वारा जनजातीय अनुपम सेवायें प्रदान करने वाले एवं पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के मुख्य उद्देश्य शिक्षादान को मूर्त रूप प्रदान करने व करवाने वाले कार्यकर्ता अथवा संस्था को प्रदान किया जाता है। स्वर्गीय कृष्ण चंद्र गाँधी जी के व्यापक विचार, अथक मेहनत एवं लगन के परिणाम स्वरूप विद्या भारती के प्रथम विद्यालय की स्थापना हुई। स्वर्गीय गाँधी जी ने पूर्वोत्तर भारत के जनजाति समाज व वन अंचलो में शिक्षा का प्रचार-प्रसार तीव्र गति से बढ़े, इसके लिए कई योजनाएँ बनाई। इन्हें मूर्त रूप प्रदान करवाने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण 25 वर्ष पूर्वोत्तर में कई बार अमण किया। जनमानस को शिक्षा दान के लिए प्रेरित कर कार्यकर्ताओं व दानदाताओं को जोड़ा। पूर्वोत्तर में विभिन्न प्रातीय समितियों के माथ्यम से जनजाति क्षेत्र में 87 औचपारिक विद्यालय व 540 एकल विद्यालय के माध्यम से लगभग 34.000 विद्यार्थी प्रतिवर्ष शिक्षा के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं विभिन्न प्रांत समितियों द्वारा जनजाति क्षेत्र में संचालित विद्यालयों को पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति द्वारा सहयोग प्रदान किया जाता है स्वर्गीय कृष्ण चंद्र गाँधी जी के नाम से अलंकृत यह पुरस्कार कार्यकर्ता का सर्वोच्च सम्मान है. एवं अन्य कार्यकर्ताओं को प्रेरणा के साथ साथ ऊर्जा प्रदान करने वाला है। वर्ष 2007 से प्रारम्भ होकर 2018 तक 12 श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकृष्ण राव ने अपने उद्बोधन में कहा कि कृष्ण चंद्र गांधी कार्यकर्ताओं की परख करते थे, उनकी सुप्त शक्ति का जागरण करते थे, निष्क्रिय व्यक्ति को सक्रिय करने में समर्थ थे और कार्यकर्ताओं के मन के भावों को समझते थे। साथ ही स्वामी चित्तरंजन महाराज के बारे में कहा कि स्वामी जी की चिंता अध्यात्म के लिए है और इंद्रियों के माध्यम से समाज के शोषित, वंचित, अभावग्रस्त लोगों के लिए कार्यरत हैं। विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के विकास के लिए कार्य कर रही है। समारोह के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री जिश्नू देव वर्मा ने अपने भाषण में कहा कि हम बदलाव का स्लोगन लेकर चले थे, लोग समझते थे सत्ता का बदलाव होगा, लेकिन हमारे अंतःमन का भाव था कि सामाजिक बदलाव हो। लोग शिक्षित होंगे तभी व्यवस्थाओं में बदलाव होगा। भारत में ज्ञान-विज्ञान की नीति रही है। संस्कृति का मतलब ही ज्ञान-विज्ञान है। भारत की संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है। अब समय अर्थक्विक से यूथ क्विक का है, यानी युवा स्पंदन के माध्यम से राष्ट्र निर्माण होगा। विद्या भारती का कार्य डॉक्टर व इंजीनियर बनाना नहीं बल्कि मानव निर्माण करना है। समारोह में स्वामी चित्तरंजन महाराज जी ने कहा कि सभी प्रकार की सम्पत्ति समाप्त हो सकती है लेकिन शिक्षा समाप्त नहीं होती। पूर्वोत्तर में शिक्षा की आवश्यकता है। भारत को एकता के सूत्र में बांधने के लिए शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है।
इस वर्ष समारोह में वर्ष 2019 के लिए लिए शांतिकली आश्रम, चंपकनगर, त्रिपुरा के प्रमुख स्वामी चित्तरंजन महाराज को कृष्ण चंद्र गांधी स्मृति पुरस्कार प्रदान किया। स्वामी चित्तरंजन महाराज पिछड़े जनजाति व अभावग्रस्त क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा हेतु आश्रम के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। शिक्षा व सेवा के साथ-साथ स्वामी चित्तरंजन महाराज सनातन संस्कृति के प्रचार प्रचार हेतु कार्य कर रहे है। स्वामी जी को पुरस्कार स्वरूप प्रशस्तिपत्र, स्मृतिचिन्ह जनजाति गमछा, 1,00,000 रूपये का चैक प्रदान किया गया।
लखीमपुकर जिले के विशिष्ट व्यवसायी राजेश मालपानी द्वारा पुरस्कार प्रदान हेतु 1,00,000 रूपये का आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया। समारोह में महाराजा वीर विक्रम वर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्यदेव पोद्दार, त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम. के. सिंह, त्रिपुरा उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रो. अरूणोदय शाही, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान अगरतला के डायरेक्टर प्रो.पी.एस. अवधानी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन प्रो. वी. के. अग्रवाल, त्रिपुरा के विशिष्ट शिक्षाविद प्रो. जगदीश गण चौधुरी (गुरूजी), विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के सह संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी, पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष श्री रमेश कुमार पोद्दार, मंत्री श्री सांचिराम पायेंग, सह मंत्री श्री संदीप माहेश्वरी, विद्या भारती शिक्षा समिति के मंत्री मनोज नाथ, संयोजक नीलमणि चक्रवर्ती, कार्बी आंग्लोंग स्वायत्तशासी परिषद के सदस्य खोंग सिंह रोंग्पी सपरिवार उपस्थित रहे। समारोह में 500 से अधिक गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित हुये। कार्यक्रम की समाप्ति वंदे मातरम् के साथ हुई।