डाॅ. पवन तिवारी
सह संगठन मंत्री
विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र
स्वामी विवेकानन्द के विचारों में बालक की अन्तर्निहित शक्तियों का बहिरागमन ही शिक्षा है। वे कहते थे कि शिक्षा मनुष्य को साहसी बनाती है, जिससे वह किसी भी कार्य को आसानी से करने हेतु सन्नद्ध हो जाता है।
वस्तुतः उत्कृष्ट शिक्षा को प्राप्त करना प्रत्येक बालक का अधिकार होता है। इसी शिक्षा की लौ को ज्वाला में परिवर्तित करने का सफल प्रयास विद्याभारती ने पूर्वोत्तर भारतीय क्षेत्र में किया है। एक ओर पूरा विश्व जहां कोरोना से जूझ रहा था, वहीं विद्या भारती के पुरोधा बिना रुके, बिना थके अहर्निश न सिर्फ शिक्षा के दीप प्रज्ज्वलित कर रहे थे, अपितु पूर्वोत्तर भारतीय परिक्षेत्र के ग्रामों में जाकर अन्न व शिक्षादि की व्यवस्था कर रहे थे।

पूर्वोत्तर भारत में कोरोना आपदा के एक वर्ष में विद्या भारती ने शैक्षिक क्रान्ति की मशाल को और अधिक तीव्र कर दिया है। पूर्वोत्तर भारत के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में जाकर, वहां के स्थानीय निवासियों के सहयोग से शैक्षिक वातावरण तैयार कर कक्षा-कक्षीय वातावरण का निर्माण विद्याभारती के कार्यकर्ताओं ने किया है। नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में प्रारम्भिक शिक्षा प्रदान करने की बात की गई है। इस सम्बन्ध में विद्या भारती के विद्यालयों (शिशु वाटिका, शिशु मन्दिर, विद्या निकेतन आदि) में इसका पालन श्रेयस्कर तरीके से किया जा रहा है। स्थानीय भाषा में प्रारम्भिक शिक्षा देने के साथ-साथ संस्कारित शिक्षा प्रदान कर आदर्श नागरिक बनाने की जिम्मेदारी का निर्वहन भी विद्याभारती पूर्वोत्तर भारतीय परिक्षेत्र में कर रही है। इन विद्यालयों में शारीरिक विज्ञान, योग, संगीत, संस्कृत व नैतिक शिक्षा का भी अध्ययन प्रारम्भिक स्तर से उच्च स्तर तक कराया जाता है।
कोरोना के दौरान मेघालय शिक्षा समिति, शिलांग के अध्यापकवृन्द ने घरों में जा-जाकर पाठ्यसामग्री का वितरण किया और ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था की। दसवीं (10) तथा बारहवीं (12) के विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की गई। विद्या भारती शिक्षा समिति, त्रिपुरा ने कोरोना आपदा के दौरान साठ (60) जनजातीय विद्यार्थियों की क्षमता वाले एक बालक छात्रावास का निर्माण त्रिपुरेश्वरी विद्या मन्दिर, गांधीग्राम में पूर्ण किया। इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के सहयोग से तीस (30) छात्रों के आवास हेतु भी एक छात्रावास का निर्माण प्रगति पर है। जिससे जनजातीय क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके।

अरुणाचल शिक्षा विकास समिति ने कोरोना आपदा के समय न सिर्फ अपने विद्यार्थियों का ध्यान रखा, अपितु विद्यार्थियों के परिवारों में जाकर राशन व अन्य मूलभूत सामग्रियों का वितरण भी किया। इस सन्दर्भ में इस समिति के अधिकारियों ने 28 ग्राम के 332 परिवारों में जाकर उनका सहयोग किया व छात्रों (माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक वर्ग के छात्रों) के उज्ज्वल भविष्य के लिए ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था की।

कुछ इस प्रकार का कार्य जनजाति शिक्षा समिति, नागालैंड द्वारा भी किया गया। विद्या भारती से सम्बद्ध “गामादी विद्या भारती स्कूल, धनसिरीपुर, नागालैंड” के शिक्षकों के गुणवत्तापूर्ण अध्यापन की सराहना करते हुए राज्य के गवर्नर श्री पी.बी.आचार्य द्वारा “राज्यपाल पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया। शिक्षा विकास समिति, मणिपुर द्वारा भी आपदा में फंसे सामान्य नागरिकों को राशन वितरण किया गया और छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षण की समुचित व्यवस्था की गई।
शिक्षा की लौ को ज्वाला में परिवर्तित करने हेतु प्रतिबद्ध विद्या भारती की शिशु शिक्षा समिति, असम प्रान्त की इकाई ने कोरोना आपदा के दौरान शंकरदेव विद्या निकेतन, रोहा में छात्रों के अध्ययन-अध्यापन हेतु कक्षों का निर्माण कराया तथा छात्रों को संगणक (कम्प्यूटर) शिक्षा उपलब्ध कराने व सूचना-प्रौद्योगिकी से जोडने हेतु कम्प्यूटर उपलब्ध कराये। इस परिक्षेत्रीय विद्यालयों में विद्युत हेतु पर्यावरणानुकूल सौर ऊर्जा के पैनलों की उपलब्धता भी विद्या भारती द्वारा करायी जा रही है। जिससे अध्ययन के साथ-साथ पर्यावरण को भी सन्तुलित रखा जा सके। शिशु शिक्षा समिति, असम प्रान्त के द्वारा कार्बी एंगलांग जिले में एकलव्य मॉडल स्कूल की स्थापना हेतु भूमिपूजन भी किया गया तथा स्थानीय लोगों की सहायता हेतु सेवाकार्य भी किया गया।
इस प्रकार देखा विद्या भारती के अन्य शैक्षणिक कार्य भी वर्ष 2020 की कोरोना आपदा के दौरान किए गये। जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। आज विद्या भारती शैक्षिक क्षेत्र में विश्व का बृहत्तम गैर सरकारी संगठन है। वर्तमान में पूर्वोत्तर भारत में विद्याभारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा 667 स्कूल और 609 एकल विद्यालयों व शिशु केन्द्रों में लगभग 10,306 अध्यापकों के सान्निध्य में 1,99,085 छात्र अध्ययनरत हैं ।
यह संगठन शिक्षा जगत् में निरन्तर शिक्षा की अलख जलाता चला आ रहा है। शहरी क्षेत्र हो अथवा ग्रामीण क्षेत्र अथवा दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र, सर्वत्र शिक्षा तथा सेवा कार्य विद्या भारती के द्वारा जारी है। भारतीय सीमाओं से सटे क्षेत्रों में विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों के माध्यम से जन-जागरण का कार्य भी किया जाता है। देशभक्ति की शिक्षा यहां के विद्यालयों में उपलब्ध की जाती है। इसलिए विद्या भारती को भारतीय सेना का सहयोगी व सीमा का प्रहरी भी कहा जाना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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