भारतीय संस्कृति, धर्म एवं जीवनादर्शों के अनुरूप बच्चों के चरित्र का निर्माण करना विद्या भारती द्वारा संचालित शंकरदेव शिशु विद्या निकेतनों की शिक्षा प्रणाली का मुख्य लक्ष्य है। राष्ट्रीय एकात्मता एवं बालक के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से पांच विषयों शारीरिक, योग, संगीत, संस्कृत, नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा के केन्द्रीय पाठ्यक्रम है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु विद्या भारती की प्रांत समिति शिशु शिक्षा समिति असम द्वारा आचार्य प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन जिला व संकुल स्तरों पर विगत दिनों में किया है। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के संगठन मंत्री जे.एम. काशीपति जी 7 दिवसीय असम प्रवास के अवसर पर गुवाहाटी में असम प्रकाशन भारती में आयोजित पूर्णकालीन कार्यकर्ता बैठक व शंकरदेव शिशु कुंज में आयोजित जिला केन्द्र विद्यालय पदाधिकारी बैठक में रहे।
पूर्णकालीन कार्यकर्ता बैठक में जे.एम. काशीपति ने कहा आजादी का अमृत महोत्सव समाज का उत्सव बनें। समाज के हर वर्ग के लोग इसमें सम्मिलित हों। विद्यार्थियों को राज्य में स्थित युद्ध स्मारकों के दर्शन कराना चाहिए। उन्होनें जनजाति क्षेत्र में कार्यरत पूर्णकालीन कार्यकर्ताओं से चर्चा करते हुए कहा जनजाति संस्कृति का प्रचार-प्रचार करना चाहिए। जनजाति संस्कृति पर पुस्तक लेखन व विद्यालयों के पुस्तकालयों में जनजाति संस्कृति पर आधारित पुस्तकों की उपलब्धता के बारे में बताया।
जिला केन्द्र विद्यालय पदाधिकारी बैठक में जिला केन्द्र विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रबंध समिति के अध्यक्ष व संपादक उपस्थित रहे। काशीपति जी ने जिला केन्द्र विद्यालयों के दृढ़ीकरण हेतु बताया कि जिला केन्द्र में संचालित विद्यालयों द्वारा अंकुर से द्वादश तक कक्षाओं, संस्कार केन्द्र, प्रभावी शिशुवाटिका का संचालन होना चाहिए तथा जिला टोली बनाना, मानक परिषद द्वारा विद्यालय का मूल्यांकन होना चाहिए।
बैठक में विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र संगठन मंत्री ब्रह्माजी राव, क्षेत्रीय मंत्री डॉ. जगदीन्द्र रॉय चैधुरी, सह संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी, शिशु शिक्षा समिति असम के मंत्री कुलेन्द्र कुमार भगवती उपस्थित रहे। क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख आनंद सूत्रधर ने प्रभावी शिशु वाटिका के लिए उपयोगी बारह व्यवस्था की जानकारी उपस्थित कार्यकर्ताओं को प्रदान की।