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मूल्य-आधारित और समावेशी शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण – विद्या भारती

नई दिल्ली, 20 जून 2025। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में वार्षिक राष्ट्रीय प्रेस वार्ता का आयोजन किया। अ. भा. अध्यक्ष डॉ. रविंद्र कान्हेरे ने महामन्त्री देशराज शर्मा, उपाध्यक्ष अवनीश भटनागर और प्रचार संयोजक डॉ. रामकुमार भावसार की उपस्थिति में विद्या भारती की विशिष्ट गतिविधियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान देश के सबसे बड़े शैक्षणिक आंदोलनों में से एक है, जो गुणवत्तापूर्ण (गुणात्मक) और संस्कृति-युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। विद्या भारती देश के 684 जिलों में 12,118 विद्यालयों का संचालन कर रही है। इसके अतिरिक्त 8,000 से अधिक अनौपचारिक शिक्षा केंद्र भी संचालित कर रही है, जो समाज के वंचित वर्ग को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में 35.33 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं विद्या भारती के स्कूलों में अध्ययनरत हैं और उन्हें 1.53 लाख से अधिक शिक्षक शिक्षित कर रहे हैं।

विद्या भारती के पूर्व छात्रों के बारे में उन्होंने कहा कि विद्या भारती के 10 लाख 30 हजार से अधिक पूर्व छात्र इसके पोर्टल पर पंजीकृत हैं, जिससे यह विश्व का सबसे बड़ा पूर्व छात्र संगठन भी बन गया है। ये पूर्व छात्र 87 से अधिक देशों में रहकर विविध क्षेत्रों में योगदान दे रहे हैं और अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान प्राप्त सेवा, संस्कृति और प्रतिबद्धता के मूल्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।

विद्या भारती की विशेषता इसकी मूल्याधारित शिक्षा को आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोण से जोड़ने में है। विद्यालयों में AI-सक्षम लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल क्लासरूम अपनाए जा रहे हैं और यह सब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप हैं। वर्तमान में, 507 से अधिक विद्यालयों में अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना की जा चुकी है, जो AI, Robot, Coding और अन्य तकनीकों में बच्चों को सीखने का अवसर देती है।

आईटीआई, जन शिक्षण संस्थान और स्किल हब जैसे व्यावसायिक शिक्षा के केंद्र जनजातीय और ग्रामीण युवाओं को रोजगारपरक कौशल प्रदान करते हैं । कारगिल (लद्दाख), शिमला और मंडी (हिमाचल प्रदेश), और किफिरे (नागालैंड) जैसे दुर्गम क्षेत्रों में केंद्रों की स्थापना की गई है।

विशेष शिक्षा गतिविधि में विद्या भारती सैनिक विद्यालय, सीमा क्षेत्र विद्यालय और आवासीय जनजातीय विद्यालय भी संचालित करती है ताकि कोई भी क्षेत्र शिक्षा से वंचित न रह जाए। भारतीय शिक्षा शोध संस्थान (लखनऊ) और समर्थ भारत अनुसंधान केंद्र (गांधीधाम, गुजरात) जैसे संस्थान भारतीय ज्ञान परंपराओं पर आधारित पाठ्यक्रम एवं अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि मानक परिषद (भोपाल) पूरे देश में स्कूलों की गुणवत्ता के मानकीकरण एवं उन्नयन का कार्य कर रही है।

अखिल भारतीय आयोजनों में राष्ट्रीय विज्ञान मेले, गणित ओलंपियाड, खेल प्रतियोगिता आदि में भी छात्रों ने लगातार प्रथम स्थान प्राप्त किए हैं। विद्यालय से अखिल भारतीय स्तर तक आयोजित विज्ञान मेला, सांस्कृतिक कला पर्व, खेल, वैदिक गणित, कम्प्युटर विषयों के कार्यक्रमों से जहां गुणवत्ता, रुचि, नवाचार को बढ़ावा मिलता है, वहीं राष्ट्रीय एकात्मता, परम्पराओं का आदान-प्रदान तथा मिलजुल कर कार्य करने की भावना का विकास होता है।

Press conference of Vidya Bharati at New Delhi

अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस वर्ष UPSC परीक्षा में 27 से अधिक पूर्व छात्रों ने सफलता प्राप्त की है। प्रकाश यादव (प्रयागराज), विभोर सारस्वत (शिकारपुर, बुलंदशहर, यूपी), ऋषभ चौधरी (गरोठ, मध्य प्रदेश) ने टॉप 50 में स्थान प्राप्त किया है। यह प्रमाणित करता है कि मूल्याधारित शिक्षा वैश्विक मानकों से कहीं अधिक बेहतर परिणाम दे रही है।

2024–25 में 5.2 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया गया, 1,827 स्कूलों में जल संरक्षण के प्रयास हुए, 3,939 स्कूलों में ऊर्जा बचत गतिविधियाँ चलाई गईं, और 2,790 स्कूलों में कचरा प्रबंधन अभियान चलाए गए। छात्रों और आचार्यों ने मिलकर 1,643 स्कूलों में इको-क्लब का नेतृत्व किया, 1,209 औषधीय बग़ीचे तैयार किए, और 3,408 स्कूल परिसरों को हरित एवं पॉलीथीन मुक्त घोषित किया गया।

भारतीय भाषाओं, संस्कृति और लोक ज्ञान के माध्यम से आत्म-चेतना का विकास हमारे विद्यालयों की विशेषता है। संस्कृत शिक्षण और भारतीय ज्ञान प्रणाली का समावेश छात्रों को अपनी जड़ों से जोड़ता है।

बालिकाओं और महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और नेतृत्व की भूमिकाओं के साथ सशक्त बनाना विद्या भारती का एक प्रमुख लक्ष्य है। कुल 34,75,757 विद्यार्थियों में से 14,41,601 बालिकाएँ हैं। परिवार में महिला की विशेष भूमिका को ध्यान में रखते हुए, विद्या भारती बालिका शिक्षा पर विशेष बल देती है। माँ-बेटी संवाद, किशोरी परामर्श, और आत्मरक्षा प्रशिक्षण जैसे मंचों के माध्यम से भारतीय मूल्यों पर आधारित समग्र सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हैं।

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