“समुत्कर्ष महाशिविर” में बने 2 विश्व रिकॉर्ड।

विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय “समुत्कर्ष महाशिविर” के समापन समारोह के भव्य अवसर पर प्रकट कार्यक्रम में बने 2 विश्व रिकॉर्ड।

इंडियन ट्रेडिशनल बुक ऑफ़ रिकॉर्ड द्वारा प्रदान किये गए 2 विश्व रिकॉर्ड।

5000 विद्यार्थियों द्वारा सांघिक घोष वादन हेतु।

8000 विद्यार्थियों द्वारा व्यायामयोग, सूर्यनमस्कार हेतु।

समुत्कर्ष महाशिविर का आयोजन विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा दिनांक 29, 30, 31 जनवरी 2025 को गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में आयोजित किया गया।

Samutkarsh Mahashivir – Day 1

“समुत्कर्ष महाशिविर” में सर्व प्रथम लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) श्री राणा प्रताप कलिता ने महाशिविर का ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के मंत्री डॉ. जगदीन्द्र रायचौधुरी एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी जी उपस्थित रहे।

“समुत्कर्ष महाशिविर” स्थल पर आयोजित बृहद प्रदर्शनी का शुभारम्भ असम के शिक्षा मंत्री श्री रनोज पेगू द्वारा किया गया। पर्वतीय क्षेत्र विकास, परिवहन, सहयोग, स्वदेशी और जनजातीय आस्था और संस्कृति मंत्री श्री जोगेन मोहन ने दीप प्रज्वलन कर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उनके साथ असम के खान एवं खनिज मंत्री श्री कौशिक रॉय ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

प्रदर्शनी में विशेष रूप से माजुली के मुखौटा, लोक वाद्य, ओलंपिया पारंपरिक खेल संग्रहालय द्वारा पारंपरिक खेल, संस्कृत, बालिका शिक्षा, शिशु वाटिका, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, अटारी, पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड, निश्चल स्मार्ट लर्निंग सॉल्यूशंस, प्रागज्योतिषपुर विश्वविद्यालय, असम प्रकाशन भारती, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय इम्फाल एवं राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद के स्टाल लगाए गए।

असम के माननीय राज्यपाल ने किया समुत्कर्ष महाशिविर प्रदर्शनी का अवलोकन

असम के माननीय राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी ने “समुत्कर्ष महाशिविर” स्थल पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने प्रदर्शनी में प्रस्तुत शैक्षिक एवं सांस्कृतिक विषयों पर आधारित विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण कर उसकी सराहना की।

राज्यपाल महोदय ने इस आयोजन को प्रेरणादायक बताते हुए इसे राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उनके आगमन से समस्त शिविरार्थी एवं कार्यकर्ता उत्साहित हुए।

“समुत्कर्ष महाशिविर” का शुभारंभ असम के माननीय राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने किया। उन्होनें “भारत वन्दे मातरम्” गीत के माध्यम से विद्यार्थियों को समुत्कर्ष महाशिविर के भाव से अवगत कराया। माननीय राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में विद्यालयों में नित्य होने वाली सरस्वती वंदना का उल्लेख करते हुए कहा हममें साहस होना चाहिए और उसके साथ शील (चरित्र) भी आवश्यक है। सीता, सावित्री, दुर्गा मां जैसी बालिकाएँ घर-घर हों।

माननीय राज्यपाल का स्वागत महाशिविर के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) श्री राणा प्रताप कलिता ने किया। उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू, असम के खान एवं खनिज मंत्री श्री कौशिक रॉय, विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री श्री ब्रह्माजी राव, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के संगठन मंत्री श्री के एन रघुनंदन, अरुणाचल शिक्षा विकास समिति के संरक्षक श्री ताई तागक, पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड (NEDFi) के चेयरमैन श्री पी वी एस एल एन मुर्ति, विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के मंत्री डॉ. जगदीन्द्र रायचौधुरी, महाशिविर के संयोजक श्री दीपांकर बोरा उपस्थित रहे।

विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा आयोजित “समुत्कर्ष महाशिविर” के शुभारंभ के साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पारंपरिक लोकनृत्य और विविध रंगारंग प्रस्तुतियों ने शिविर स्थल को उल्लासमय बना दिया।

इस आयोजन ने भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर को प्रदर्शित किया और शिविरार्थियों में राष्ट्रभक्ति व सांस्कृतिक चेतना का संचार किया।

Samutkarsh Mahashivir – Day 2

“समुत्कर्ष महाशिविर” के द्वितीय दिवस पर भैया एवं बहनों हेतु दो स्थानों पर वार्ता सत्रों का आयोजन किया गया। इन सत्रों का मुख्य विषय “सामाजिक परिवर्तन में विद्यार्थियों की भूमिका” रहा, जिसमें विद्यार्थियों की समाज में सक्रिय सहभागिता, दायित्व एवं योगदान पर चर्चा की गई।

“समुत्कर्ष महाशिविर” में विद्यार्थियों को निश्चल स्मार्ट लर्निंग सॉल्यूशंस के प्रतिष्ठापक एवं विश्व के 7 प्रमुख मेधावियों में से एक, भारत के सबसे कम उम्र के सीए निश्चल नारायणम का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

इसके साथ ही, राष्ट्रीय कवि सुमित ओरछा, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्री दिगंत बोरा एवं वरिष्ठ लेखक श्री लक्ष्मी नारायण भाला, दीन दयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष श्री बसंत पंडित ने विद्यार्थियों के साथ संवाद किया और उन्हें शिक्षा, नेतृत्व और समाज सेवा की दिशा में प्रेरित किया।

“समुत्कर्ष महाशिविर” के द्वितीय दिवस की संध्या पर पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के सौजन्य से ‘पूर्वोत्तर लोक संस्कृति महोत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया।

  • त्रिपुरा के माननीय राज्यपाल श्री इन्द्रसेना रेड्डी नल्लु जी ने महोत्सव का शुभारंभ किया।
  • विशिष्ट अतिथि असम विधानसभा अध्यक्ष श्री विश्वजीत दैमारी जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
  • पूर्वोत्तर राज्यों के विद्यार्थियों ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हुए पारंपरिक नृत्यों की सुंदर प्रस्तुतियां दीं।
  • लोक माता अहिल्या पर आधारित नृत्य नाटिका विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
  • मध्यप्रदेश के ‘शास्त्रीय वाद्य वृन्द मैहर’ द्वारा नलतरंग (बंदूक की नालों से निर्मित शास्त्रीय वाद्य) की अनूठी प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस समारोह में विशिष्ट उपस्थिति:

  • विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री श्री यतीन्द्र कुमार शर्मा
  • त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एवं विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष प्रो. गंगा प्रसाद परसाईं
  • प्रागज्योतिष्पुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. स्मृति कुमार सिन्हा

Samutkarsh Mahashivir – Day 3

समुत्कर्ष महाशिविर के अंतर्गत पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति द्वारा ‘पूर्वोत्तर भारत की जनजातियों का शैक्षिक परिदृश्य’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री श्री ब्रह्माजी राव जी ने इस अवसर पर अपना प्रेरणादायक पाथेय प्रदान किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री बसंत अग्रवाल जी ने की। समिति के कार्यों की विस्तृत जानकारी सचिव डॉ. अभिजीत पायेंग जी ने प्रस्तुत की। इस संगोष्ठी में जनजाति क्षेत्र में संचालित एकल विद्यालयों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

“समुत्कर्ष महाशिविर” के अंतर्गत प्रागज्योतिष्पुर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए एक चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में विद्यार्थियों को निश्चल स्मार्ट लर्निंग सॉल्यूशंस के प्रतिष्ठापक निश्चल नारायणम एवं दीन दयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष श्री बसंत पंडित जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

  • विद्यार्थियों ने शिक्षा, शोध और नवाचार से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर संवाद किया।
  • विशेषज्ञों ने व्यावसायिक कौशल, स्वदेशी शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर प्रेरणादायक विचार साझा किए।

“समुत्कर्ष महाशिविर” के अंतर्गत पूर्व छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथिअरुणाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री पासंग दोरजी सोना जी ने विद्यार्थियों को शिक्षा और समाज निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय कृष्णगोपाल जी ने राष्ट्रहित में युवाओं की भूमिका पर विचार रखे।आमंत्रित अतिथि गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ननी गोपाल महंत जी, विशिष्ट अतिथि युवा फिल्म निर्देशक एवं अभिनेता श्री लुकानन्द क्षेत्रीमायुम जी ने अपने विचार व्यक्त किए।

पूर्व छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और महाशिविर की प्रेरणादायी यात्रा को स्मरण किया।

समुत्कर्ष महाशिविर” के अंतर्गत ‘मातृ सम्मेलन’ का भव्य आयोजन किया गया।

सम्मेलन में मुख्य अतिथि असम की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती नंदिता गोर्लोसा, विशिष्ट अतिथि श्रीमती दसांग्लू पुल, मुख्य वक्ता के रूप में विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री श्री यतीन्द्र शर्मा, आमंत्रित अतिथि के रूप में राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका सुश्री सुनीता हल्देकर सहित राष्ट्र सेविका समिति उत्तर असम प्रान्त कार्यवाहिका श्रीमती रिम्की भगवती विशिष्ट वक्ता के रूप में शामिल हुईं।

‘मातृ सम्मेलन’ का आयोजन बालिका शिक्षा, शिशु वाटिका एवं मातृ भारती के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

समुत्कर्ष महाशिविर प्रदर्शनी का माननीय मुख्यमंत्री द्वारा अवलोकन

असम के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा शर्मा जी ने “समुत्कर्ष महाशिविर” की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। शिशुओं ने हर्षोल्लास के साथ उनका स्वागत किया, जिससे माहौल आनंदमय हो गया।

  • मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न शैक्षिक एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनियों का अवलोकन कर उसकी सराहना की।
  • शिशुओं से मिलकर वे अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें स्नेह व आशीर्वाद प्रदान किया।
  • उन्होंने समुत्कर्ष महाशिविर प्रदर्शनी को अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक बताया।

“समुत्कर्ष महाशिविर” में 5 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने किया घोष वादन।

  • 1 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने किया बिहू नृत्य।
  • 8 हजार विद्यार्थियों ने किया व्यायामयोग, सूर्यनमस्कार एवं आसन का प्रदर्शन।

मुख्य मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने “समुत्कर्ष महाशिविर” के समापन समारोह का दीप प्रज्वलन किया, विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना के पश्चात कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान से पवित्र कुछ भी नहीं है। प्राचीन काल में भारत आध्यात्मिकता, विज्ञान और ज्योतिष विद्या का केंद्र था। उन्होंने छात्रों को ज्ञान अर्जन हेतु तप करने की प्रेरणा दी और कहा कि अतीत के गहरे स्त्रोत से ज्ञान का अमृत लेकर, भविष्य की तकनीक के साथ कदम मिलाकर हमें 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा कि सेवा, शिक्षा का अनिवार्य अंग है, और छात्रों को जिज्ञासु प्रवृत्ति अपनाकर ज्ञान के अन्वेषण में तत्पर रहना चाहिए। साथ ही मुख्यमंत्री ने विद्या भारती परिवार, छात्रों, शिक्षकों एवं व्यवस्थापकों को इस स्वर्णिम यात्रा का साक्षी बनने के लिए बधाई दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि विद्या भारती छात्रों के शैक्षिक उत्थान के माध्यम से भारत की 5000 वर्षों की खोई हुई गौरवशाली परंपरा को पुनः जाग्रत कर, भारत को विश्वगुरु के पद पर स्थापित करने के लिए तत्पर है।

विद्या भारती के अखिल भारतीय सह-संगठन मंत्री श्री यतीन्द्र शर्मा ने माताओं से लोकमाता अहिल्या बाई के आदर्शों का अनुसरण कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा के माध्यम से मातृशक्ति को सशक्त बनाना होगा, ताकि वे भविष्य में राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान कर सकें।

“समुत्कर्ष महाशिविर” के समापन समारोह में मुख्य अतिथि असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा शर्मा, विशिष्ट अतिथि अरुणाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री पासंग दोरजी सोना एवं असम की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती नंदिता गोर्लोसा, आमंत्रित अतिथि विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री श्री यतीन्द्र कुमार शर्मा, मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय कृष्णगोपाल जी उपस्थित रहे।

समापन समारोह में पद्मभूषण श्री जतिन गोस्वामी को सम्मानित किया गया।

स्मरणिका

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