कहानी : डॉ. विनीता राहुरिकर ० भोपाल (म.प्र.)
गोलू बड़ा प्यारा अपने नाम के ही अनुरूप गोलमटोल नन्हा हाथी था। वह आनंद वन में अपने माता- पिता और अन्य सम्बधियों के साथ बड़े सुख से रहता था। जंगल में सभी उसे बहुत स्नेह करते थे। वह था भी बहुत प्यारा और सबका दुलारा। सबसे बहुत प्यार करता, सबका कहना मानता। सबसे मिलजुल कर रहता। सब उससे बहुत प्रसन्न थे। अपनी माँ का तो वह आँखों का तारा था। गोलू भी अपनी माँ से बहुत प्यार करता, माँ की हर बात मानता, बस एक ही आदत थी गोलू की जिसके कारण से उसकी माँ उससे परेशान रहती थी वो कि गोलू कभी नहाता ही नहीं था। उसे पानी से बहुत डर लगता था। उसे लगताकि अगर वह पानी में गया तो घुल जाएगा। न माँ उसे खूब समझाती हक है कि ऐसे पानी में नहाने से कोई घुल नहीं जाता। सब तो नहाते हैं लेकिन गोलू का डर दूर नहीं होता। इस वर्ष गर्मी बड़ी तेज पड़ी। आनन्द वन के प्राणी भी गर्मी के कारण त्रस्त हो गए। सभी पशु-पक्षियों का बुरा हाल था।
राजा शेर ने आनंदवन में घने पेड़ों की छांह में सुन्दर तरणताल (स्विमिंग पूल) बनवा दिया ताकि सभी प्राणी
उसमें नहाकर गर्मी से थोड़ी राहत पा सके। जंगल के सभी प्राणी स्विमिंग पूल देखकर बहुत
प्रसन्न हुए सभी अपने काम निपटाकर पूल पर आते और घण्टों पानी में खेलते। पेड़ों की ठंडी छाँव में आराम करते।
गोलू के माता-पिता भी रोज वहाँ आते और पानी में तैरते रहते। माँ गोलू को भी खूब बुलाती, बाकी सभी भी
उसे आवाज लगाते- “अरे आओ न गोलू देखो पानी कितना ठंडा है। सारी गर्मी दूर हो जाएगी ““ चीनू चीता
कहता। “हाँ गोलू! तुम भी आओ सबके साथ तैरो। देखो कितना आनंद आ रहा है।”” बीनू भालू और हीरू हिरण भी
बुलाते। “ नहीं -नहीं। मुझे तो पानी से डर लगता है। मैं नहीं आऊंगा। मैं तो यही ठीक हूँ। यहाँ भी तो कितना ठंडा है।” कहकरगोलू पेड़ों के पीछे दुबक जाता। माँ उसे समझाती- “बेटा! नहीं नहाओगे तो गर्मी में
घमोरियां हो जाएंगी तुम्हे और सब गन्दा बच्चा बुलाएंगे।लेकिन गोलू पर कोई प्रभाव नहीं होता। वो तब भी
पानी से डरता रहा। एक दिन शाम को जब सब प्राणी स्विमिंग पूल में पानी से मस्ती कर रहे थे तब हमेशा की तरह गोलू पेड़ों की छाह में आ गया। वह पूल में खेल रहे अपने दोस्तों की तरफ देखता हुआ घास पर बैठने जा ही रहा था कि अचानक
उसके पैर से तेज चुभन हुई। गोलू दर्द से कराह उठा। उसने पीछे देखा तो बुरी तरह डर गया। पीछे तेज नुकीले बड़े-बड़े
काँटों वाला एक भयानक जीव था। दरअसल वह सीनू साही थी। सीनू घास पर आराम कर रही थी तभी गोलू का
पैरउसके काँटों पर पड़ गया। गोलू ने इसके पहले कभी साही नहीं देखी थी। वह
सीनू को देखकर बहुत डर गया। क्षमा करना बच्चे मैं आँखें बंद करके लेटी थी तो तुम्हे देख ही नहीं पाई। तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं आई न? ”सीनू अपनी बारीक सी आवाज में पूछते
हुएगोलू की तरफ बढ़ी।
उसे अपने पास आता देखकर गोलू और डर गया कि यह तो मुझे मारने आ रही है। गोलू वहाँ से
भागने लगा। “अरे-अरे डरो नहीं, मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगी”श् सीनू उसके पीछे भागी। अब तो गोलू और भी डर गया। उसे कुछ नहीं सूझा तो वह भागते हुए सीधे स्विमिंग पूल में जा कूदा।
गोलू को पूल में देखकर हीरू, चीनू, बीनू सब बहुत खुश हुए “अरे वाह! आज तो गोलू भी आखिर पूल में
आही गयाष् सबने मिलकर गोलू पर पानी उछालना शुरु कर दिया। पानी की वे ठंडी फुहारें गोलू को बड़ी अच्छी
लगीं। उसने देखा कि वह पानी में घुला भी नहीं। गर्मी में ठंडा-ठंडा पानी बड़ा सुहाना लग रहा था। अबतो
उसे भी खूब मजा आया। वह सूंड में पानी भरकर खूब नहाया। सबने मिलकर पानी में खूब मस्ती की।
शाम होने पर माँ ने उसे घर चलने को कहा तो गोलू बोला- ““अब तो तुम रोज नहाओगे न?” माँ ने हँसते हुए
पूछा। “हाँ माँ अब तो मैं प्रतिदिन सुबह-शाम नहाऊँगा। मैं कोई मिट्टी का बना हुआ थोड़े ही हूँ कि पानी में घुल
जाऊँगा। पानी तो कितना अच्छा होता है।” गोलू ने छपाक् से पानी उड़ाकर कहा। जब माँ को गोलू के पानी में उतरने का किस्सा पता चला तो सब खूब हँसे। माँ ने सीनू को धन्यवाद दिया कि
उसकी वजह से गोलू का पानी का डर दूर हो गया। अब गोलू प्रतिदिन पूल में अपने साथियों के साथ पानी में खूब मस्ती करता।
Source : Devputra