कहानी : शुभम् वेष्णव -सवाई माधोपुर (राज.)
साहब! मेरे बेटे की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है। वह अस्पताल में भर्ती है, मुझे अभी ५ हजार रु. की सख्त जरूरत है।
अगर आप मेरी थोड़ी सहायता कर देते – तो अच्छा होता।
मेरी अगली पगार में से आप ५ हजार काट लेना- वाहन चालक प्रेमराज ने अपने मालिक से विनती करते हुए कहा।
“देखो मैं तुमको ५ हजार दे देता परन्तु अभी मेरे पास ५ हजार नहीं है क्योंकि मैने अभी अपना सारा नगद रुपया जमीन व मकान की खरीदी में लग गया है। मालिक ने वाहन चालक प्रेमराज से मुँह बनाते हुए कहा।
कोई बात नहीं साहब! मैं कही ओर से व्यवस्था कर लूंगा।” इतना कहकर प्रेमराज दुखी मन से चला गया। थोड़ी देर बाद गोलू उसके पिताजी के पास आया और कहने लगा “पिताजी! मुझे दस हजार रु. चाहिए।- ”
-लेकिन क्यों बेटा!” “पिताजी! मुझे मेरे दोस्तों को सरप्राइज पार्टी देना है।-” राजेश ने अपनी जेब से १५ हजार की गड्डी
निकालकर गोलू के हाथ में थमा दी। “जाओ, पार्टी कर लो। पूरे १५ हजार हैं अगर कम पड़ेतो औरमांग लेना राजेश ने कहा। बहुत बहुत धन्यवाद पिताजी। गोलू अपने पिता के गले लगते हुए कहने लगा। बाहर गाड़ी साफ करता वाहन चालक प्रेम राज सब कुछ देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि साहब के पास अपने बेटे को फिजूलखर्ची के लिए तो रुपए है परन्तु हम जैसे गरीबों की मदद के लिए उनकी जेब में एक रुपया भी नहीं है। जबकि रुपयों की आवश्यकता तो मुझे है आखिरकार क्यों अमीर लोग गरीबों की सहायता करने से हिचकिचाते हैं? प्रेम राज दादा आपका बच्चा बीमार है न? यह लो उसके उपचार के खर्च के लिए १५ हजार। गोलू ने प्रेम राज दादा के हाथ में १५ हजार रखते हुए कहा। लेकिन आप ने तो यह रुपए दोस्तों के साथ पार्टी करने के लिए-लिये हैं ना प्रेम राज दादा ने आश्चर्य चकित होते हुए कहा। मैंने आपकी और पिताजी की बातें सुन ली थी। पिताजी के पास रुपए थे फिर भी उन्होंने आप से मना कर दिया और आपको इस तरह निराश लौटना मुझे अच्छा नहीं लगा, इसलिए मैंने पिताजी से झूठ बोलकर यह रुपए लिए। पिताजी को आप यह बात मत बताना” गोलू ने प्रेम राज दादा का हाथ पकड़ते हुए कहा। गोलू की दानवीरता देखकर प्रेम राज दादा की आँखों में आंसू आ गए और वे मन ही मन गोलू को आशीर्वाद देने लगे।
अब उन्हें लग रहा था कि आज भी समाज में अच्छे लोग भी हैं जो बुरे समय में हर किसी का साथ देते हैं आभी समाज में मानवीयता बाकी है।
Source : Devputra