भारत के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान में एक सङ्गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य आयोजक संस्कृत संस्थान, जेएनयू के प्रोफेसर हरिराम मिश्र रहे। मुख्य वक्ता के रूप में विद्याभारती के पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्रीय संगठन मन्त्री श्री ब्रह्माजी राव थे। श्री राव जी ने पूर्वोत्तर भारत में शैक्षणिक और सामाजिक परिदृश्य के परिप्रेक्ष्य में शोध एवं नवोन्मेष की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। पूर्वोत्तर भारत की सामासिक संस्कृति में शैक्षिक शोध एवं विकास की अपार संभावनाएं हैं। जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और यहां के संस्कृत के शोधछात्रों में पूर्वोत्तर की संस्कृति के विषय में शोध के लिए अग्रसर होना चाहिए, ऐसा श्री ब्रह्माजी राव ने अपने उद्बोधन में कहा।
सङ्गोष्ठी के मुख्य रूप से उपस्थित विद्या भारती के ही क्षेत्रीय मंत्री डॉ जगदीन्द्र राय चौधरी ने पूर्वोत्तर की जैव विविधता के बारे में विस्तार से बताया।विद्या भारती के सह-संगठन मंत्री (पूर्वोत्तर क्षेत्र) डॉ पवन तिवारी ने उपस्थित जनों को पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत के अध्ययन हेतु आमंत्रित किया। प्रोफेसर हरिराम मिश्र ने संस्कृत संस्थान में हो रहे उच्चस्तरीय गुणवत्तापूर्ण शोधों के विषय में अवगत कराया।संस्थान के डीन प्रोफेसर सुधीर आर्य ने विद्या भारती के साथ मिलकर जेएनयू के विद्यार्थियों के लिए विशिष्ट व्याख्यान का आग्रह किया।उपरोक्त कार्यक्रम में विद्यार्थी गण उत्साहित रहे।कार्यक्रम का सफल संयोजन डॉ.योगेंद्र भारद्वाज ने किया।