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समाज गुणी जनो का सम्मान करे तो समाज में गुणी लोगों की संख्या बढ़ती है – श्रीराम आरावकर

करीमगंज : सरस्वती विद्या निकेतन के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित सामाजिक समरसता और गुणीजन सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री मा. श्रीराम जी अरावकर जी उपस्थित रहे। उन्होनें समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा कि चौदह सौ वर्षों की पराधीनता की श्रृंखला ने हमारे समाज जीवन में कई असमानताएँ पैदा की हैं। जातिगत भेदभाव पैदा हुआ है और अंग्रेजों ने इन सभी असमानताओं का फायदा उठाकर भारतीय समाज, शिक्षा, सभ्यता और संस्कृति को गुमराह किया है और हमें बहुत पीछे छोड़ दिया है।

उन्होनें कहा आजादी के 74 साल बाद भी हम समग्र रूप से इस कमजोरी को दूर नहीं कर पाए हैं। भारत के संत महात्माओं और कई सामाजिक संगठनों ने अतीत में कड़ी मेहनत की है और इन सभी सामाजिक असमानताओं को खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। कई मामलों में परिवर्तन प्राप्त हुए हैं और कई मामलों में अधिक प्रयास की आवश्यकता है। पूरे हिंदू समाज को सभी मतभेदों से ऊपर उठकर एक दूसरे को प्यार और स्नेह में बांधकर भारतीय संस्कृति आधारित एकात्म समरस युक्त राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी है।

हमारा अंतिम कर्तव्य पूरे हिंदू समुदाय को एकता के बंधन में बांधना और भारत के कल्याण के लिए काम करना है। हमें जातिगत भेदभाव को मिटाना है और सद्गुण और कर्म के आधार पर सामाजिक जीवन को समभावी और सर्वसमावेशी करके फिर से स्थापित करना है।

74 व्यवसायों के गुणी प्रतिभाशाली और समाज में महत्वपूर्ण अवदान रखने वाले लोगों को सम्मानित किया

समारोह में हरिजन से लेकर शिक्षक, फेरीवाला से लेकर वास्तुकार, चिकित्सक, धोवी एवं किसान से लेकर अधिवक्ता आदि सभी 74 व्यवसायों के गुणी प्रतिभाशाली और समाज में महत्वपूर्ण अवदान रखने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। मानव समाज के सभी आवश्यक सेवा प्रदाता, समान महत्व के सम्मान और सम्मान के साथ एक ही मंच मे हिंदू समाज की लघु स्वरूप खड़ा करने का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नया संदेश ले जाएगा। यदि कोई समाज या कोई सामाजिक संस्था समाज के सदाचारी और गुणी लोगों का श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करती है तो इससे समाज में बहुत से गुणी एवं श्रेष्ठ लोगों का निर्माण होता है और यदि गुणी लोगों की प्रशंसा की जाती है तो समाज में सद्गुण की महिमा का स्वतः ही प्रचार होता है और इससे पूरे समाज को लाभ होता है।

उन्होंने समारोह में उपस्थित सभी गुणीजनो को सम्मान और बधाई व्यक्त करते हुए विनम्रतापूर्वक सभी से देश और समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

विद्यालय की 10वीं कक्षा की छात्रा कु. संगीता दास द्वारा प्रस्तुत मनमोहक संगीत ने उपस्थित जनों को भाव विभोर कर दिया। स्वागत समारोह में कुल 79 लोगों को समाज के विभिन्न व्यवसायों में उनके विशेष योगदान के लिए स्वागत समारोह में सम्मानित किया गया। समाज जागरण की इस नवीन गतिविधि ने उपस्थित सभी लोगों को आकर्षित किया और भावी पीढ़ी को समाज निर्माण के लिए प्रेरित किया।

विद्यालय की रजत जयन्ती स्मरणिका मंजुश्री का अनावरण किया गया।


उल्लेखनीय है कि बराक घाटी में 25 वर्षों से विद्या भारती के कार्य में कार्यरत कुछ कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। विशेष रूप से इस विद्यालय की श्रीमती पुलोमा पुरकायस्थ (गोस्वामी) एवं संपा देव (दास) काठाखाल से समीरण चक्रवर्ती एवं अलक पाल, मालूग्राम सिलचर से सुदीप्ता भटाचार्य, कालाईन से श्री निवास चक्रवर्ती, डलू से श्री बिबेकानंद देव पुरोकायस्थ, विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सुहास रंजन दास द्वारा स्वागत वक्तव्य के वाद असम परिवहन निगम के अध्यक्ष श्री मिशन रंजन दास और विद्या भारती दक्षिण असम संगठन मंत्री श्री योगेंद्र सिंह सिसोदिया ने अपना विचार संक्षेप में रखा। रजत जयंती समारोह समिति के अध्यक्ष कमलेश रंजन दे और सचिव सुबीर बरन रॉय ने धन्यवाद ज्ञापन और आभार व्यक्त किया।

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