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विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद बना विश्व में सबसे बड़ा पूर्व छात्र संगठन

जहाँ भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने रविवार 29 नवम्बर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश के युवाओं को सम्बोधित करते हुए किसी भी शैक्षिक संस्थान के साथ उससे पढ़कर निकले हुए पूर्व छात्रों के जुड़ाव को रेखांकित किया, वही दिन विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी शैक्षिक संगठन ‘विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान’ के लिए एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित करने का दिन भी बन गया। विश्व भर के सर्वाधिक पंजीकृत सदस्य संख्या वाले पूर्व छात्र संगठन के रूप में ‘विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद’ के सदस्यों की संख्या 3.56 लाख का आंकड़ा पार कर गई।

ज्ञातव्य है कि विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान सरकारी आर्थिक सहयोग प्राप्त किए बिना देश भर में 12,830 औपचारिक विद्यालयों के माध्यम से भारत केन्द्रित, संस्कारयुक्त, समाजपोषित शिक्षा देने वाला विश्व का सबसे बड़ा शैक्षिक संगठन है जिनमें एक लाख से अधिक शिक्षक आचार्य बन्धु बहनें कुल 34,47,856 छात्रों का भविष्य निर्माण कर रहे हैं। समाज के वंचित वर्ग के प्रति भी अपने उत्तरदायित्व को स्वीकार करते हुए देश के ग्रामीण, जनजातीय तथा सेवा बस्ती क्षेत्रों में चल रहे 11,353 अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों के माध्यम से यह संस्थान देश की अगली पीढ़ी के निर्माण में 1952 से निरन्तर प्रयासरत है।

उपर्युक्त जानकारी साझा करते हुए विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीयुत श्रीराम आरावकर ने बताया कि संस्थान से सम्बद्ध विद्यालयों में अध्ययन किए हुए हजारों पूर्व छात्र आज समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं और देश के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन और समाज को नेतृत्व देने का कार्य कर रहे हैं। अखिल भारतीय स्तर पर इस संगठन ने कोरोना तथा लाॅकडाउन काल के समाज को भोजन, सामग्री, दवाएँ, सैनिटाइजर, मास्क आदि के वितरण तथा समाज की सेवाबस्तियों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सहायता के व्यापक कार्यक्रम भी आयोजित किए। प्रशासनिक सेवाओं, न्यायपालिका आदि में पदस्थ विद्या भारती के पूर्व छात्र जहाँ अपने दैनन्दिन कार्य व्यवहार में इन विद्यालयों से विद्यार्थी जीवन में मिले संस्कारों को प्रतिबिम्बित करते है, वहीं उद्योग-व्यवसाय-कृषि से लेकर धर्म-अध्यात्म-राजनीति-समाजसेवा तक प्रत्येक क्षेत्र में ये पूर्व छात्र देश की संस्कृति के गौरव को साथ लेकर उन क्षेत्रों में प्रमुख दायित्व लेकर कार्य कर रहे हैं।

श्री आरावकर ने कहा कि 3.56 लाख संख्या का उल्लेख केवल कीर्तिमान तक ही सीमित नहीं रहने वाला है। यह संख्या नित्य-निरन्तर बढ़ती जा रही है। इसी के साथ ये पूर्व छात्र जहाँ एक और अपने विद्यालयों में भवन, प्रयोगशाला, कम्प्यूटर-लैब आदि के निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग दे रहे है, वहीं पर्यावरण-जल-उर्जा संरक्षण, आत्मनिर्भर भारत तथा लोकल फाॅर वोकल जैसे समाज जागरण के कार्यों में भी सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

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