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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-9 (ज्ञानार्जन के साधन : बुद्धि)

 – वासुदेव प्रजापति, अब तक हमने जाना कि कर्मेन्द्रियों से ज्ञानेन्द्रियाँ अधिक प्रभावी हैं और ज्ञानेन्द्रियों से मन अधिक प्रभावी है। मन इसलिए अधिक प्रभावी है कि ज्ञानेन्द्रियाँ अपने-अपने विषयों के जो अनुभव प्राप्त करती हैं, मन उन्हें विचारो में रूपान्तरित करता है। रूपान्तरित विचारों से ही ज्ञानार्जन होता है, विचार नही होंगे तो ज्ञानार्जन […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-8 (ज्ञानार्जन के साधन : मन)

– वासुदेव प्रजापति, ज्ञान प्राप्त करने के साधनों में अब तक हमने बहिःकरण के अन्तर्गत कर्मेन्द्रियों एवं ज्ञानेन्द्रियों को समझा। हमने यह भी जाना कि ज्ञान प्राप्त करने के साधनों में बहिःकरणों से अधिक सूक्ष्म एवं प्रभावी साधन अन्तःकरण हैं। आज हम अन्त:करण के प्रथम साधन – ‘मन’ को समझेंगे। मन शब्द से हम सभी […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-7 (ज्ञानार्जन के साधन: अंत:करण)

–  वासुदेव प्रजापति, अब तक हमने ज्ञानार्जन के बहिकरण कर्मेन्द्रियों व ज्ञानेन्द्रियों को जाना। ज्ञानार्जन के साधनों को जानने के क्रम में आज हम अन्त:करण अर्थात् भीतरी साधनों को जानेंगे। पहले हम बहिकरण व अन्त:करण के अंतर को जानेंगे। बहिकरण शरीर के बाहरी साधन है, जबकि अन्त:करण शरीर के भीतरी साधन हैं। बाहरी साधन स्थूल […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-6 (ज्ञानार्जन के साधन: ज्ञानेन्द्रियाँ)

– वासुदेव प्रजापति कमेंन्द्रियाँ के समान ही ज्ञानेन्द्रियाँ भी बहिःकरण हैं। अर्थात् ज्ञानेन्द्रियाँ भी ज्ञानार्जन के बाहरी साधन हैं। इनके नाम से ही स्पष्ट है कि ज्ञान प्राप्त करने वाली इन्द्रियों को हम ज्ञानेन्द्रियाँ कहते हैं। ये पाँच हैं और पांचों ही ज्ञानेन्द्रियों की ज्ञानार्जन में अपनी-अपनी भूमिका है। आँख, कान, नाक, जिह्वा, और त्वचा […]

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रामचरित मानस में पर्यावरण चेतना – रामनवमी विशेष

हम प्रकृति से जुड़कर ही प्रकृति पुरुष राम से जुड़ पाएंगे। क्या हमारे प्रकृतिउन्मुख क्रियाकलापों की स्थिति और उसका स्तर हमारे लोकजीवन के आदर्श श्रीराम के रिश्ते को परिभाषित करते हैं। रामचरित मानस यहीं सन्देश देता है।  – डॉ खुशालसिंह पुरोहित मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक काल से आज तक जितने भी लोकनायक हुए […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-5 (ज्ञानार्जन के साधन: कर्मेन्द्रियाँ)

– वासुदेव प्रजापति अब तक चारों अंकों में ज्ञान व अज्ञान कों समझाया गया है, ज्ञान की महिमा बतलाई गयी है तथा ज्ञान के विविध स्वरूपों से परिचित करवाया गया है। आज के अंक में हम ज्ञानार्जन एवं उसके साधनों की जानकारी प्राप्त करेंगे। ज्ञानार्जन का अर्थ : ‘ज्ञानार्जन’ शब्द, दो शब्दों के मेल से बना […]

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NOT A MERE REFORMATION BUT A SUMMARY TRANSFORMATION NEEDED IN OUR EDUCATION SYSTEM

– D.RAMAKRISHNA RAO Indian society had a glorious tradition and known for many valuable and path breaking contributions in the field of education. Vedic to ancient system of education was remarkably effective in addressing the needs of the society and nation. Dr. A.S. Altekar, an eminent historian from the Banaras Hindu University, in his study […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-4 (ज्ञान के विविध रूप)

 – वासुदेव प्रजापति इससे पूर्व हमने ज्ञान का अर्थ जाना, ब्रह्म क्या है, यह भी जाना तथा ब्रह्म ज्ञान ही परमज्ञान है इसके साथ-साथ अज्ञान को भी समझा। हमने ज्ञान की पवितत्रता जैसी नई-नई जानकारियाँ प्राप्त की। आज हम ज्ञान के आयामों के अन्तर्गत मुख्य रूप से लौकिक ज्ञान को जानेंगे। ज्ञान के आयाम : अव्यक्त […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-3 (ज्ञान की महिमा जाने)

 – वासुदेव प्रजापति पूर्व में हमने जाना कि परम चेतन तत्त्व ब्रह्म को जानना ही ज्ञान है। साथ में यह भी जाना कि ज्ञान अज्ञान से ढका हुआ है उस अज्ञान के कारण जीव मूढता को प्राप्त हो रहे हैं। स्वयं को कर्मों का कर्ता मान लेना ही मूढता है। परमात्मा ने मनुष्य मात्र को […]