हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन तथा पर्यावरण संरक्षण गतिविधि द्वारा आयोजित प्रकृति वंदन कार्यक्रम विद्या भारती भवन गुवाहाटी में भी सम्पन्न हुआ। विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के सह संगठन मंत्री डॉ पवन तिवारी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर असम प्रांत के व्यवस्था प्रमुख श्री हरी मुंदड़ा जी, विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यालय मंत्री विकाश शर्मा जी व अन्य कार्यकर्ताओं ने पूजन करते हुए प्रकृति के संरक्षण का संकल्प भी लिया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने ऑनलाइन कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा – पर्यावरण, यह शब्द आजकल बहुत सुनने को मिलता है और बोला भी जाता है और उसका एक दिन मनाने का भी यह कार्यक्रम है, वह भी सर्वाचीन है। उसका कारण है कि अभी तक दुनिया में जो जीवन जीने का तरीका था या है अभी भी, बहुत मात्रा में है, प्रचलित है। वो तरीका पर्यावरण के अनुकूल नहीं है, वो तरीका प्रकृति को जीतकर मनुष्यों को जीना है, ऐसा मानता है। वो तरीका प्रकृति मनुष्य के उपभोग के लिए है, प्रकृति का कोई दायित्व मनुष्य पर नहीं है। मनुष्य का पूरा अधिकार प्रकृति पर है, ऐसा मानकर जीवन को चलाने वाला वो तरीका है और ऐसा हम गत 200-250 साल से जी रहे हैं। उसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं, उसकी भयावहता अब दिख रही है। ऐसे ही चला तो इस सृष्टि में जीवन जीने के लिए हम लोग नहीं रहेंगे अथवा ये भी हो सकता है कि ये सृष्टि ही नहीं रहेगी और इसलिए मनुष्य अब विचार करने लगा, तो उसको लगा कि पर्यावरण का संरक्षण होना चाहिए।
गुवाहाटी के कालीपुर में स्थित आनंद निकेतन ट्रस्ट भैरवी आश्रम में भी प्रकृति पूजन कार्यक्रम किया गया। वृक्षों का पूजन कर उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया गया।