– वासुदेव प्रजापति “विद्यार्थी” शब्द विद्या और अर्थी इन दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है – विद्या(ज्ञान) प्राप्त करने वाला। अर्थात् जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है, जो जिज्ञासु है, वह विद्यार्थी है। ज्ञान श्रेष्ठ है, ऐसे श्रेष्ठ ज्ञान को छोड़कर केवल धन, प्रतिष्ठा या सत्ता चाहने वाला कभी विद्यार्थी नहीं हो […]
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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-15 (ज्ञान प्राप्त करने की योग्यता)
– वासुदेव प्रजापति अब तक हमने ज्ञानार्जन के करण, करणों का विकास, करणों की सक्रियता, ज्ञानार्जन प्रक्रिया तथा करण- उपकरण विवेक को समझा। आज हम ज्ञान प्राप्त करने की योग्यता क्या होनी चाहिए? इस बिन्दु को समझने का प्रयत्न करेंगे। ज्ञान या विद्या ऐसी अनमोल निधि है, जो किसी अयोग्य के हाथों में नहीं जानी […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-14 (करण-उपकरण-विवेक)
– वासुदेव प्रजापति संस्कृत शब्द करण से हम भली-भाँति परिचित हैं। करण के आगे उप उपसर्ग लगने से उपकरण शब्द बनता है। करण का अर्थ मुख्य साधन और उपकरण का अर्थ हुआ सहायक साधन। कर्मेन्द्रियाँ, ज्ञानेन्द्रियाँ, मन, बुद्धि, अहंकार एवं चित्त ये मुख्य साधन हैं। जबकि पैन- पेन्सिल, रबर जैसी लेखन सामग्री एवं पुस्तकें, मानचित्र, […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-12 (करणों का विकास)
-वासुदेव प्रजापति ज्ञानार्जन के करणों में हमने बहि:करण एवं अन्त:करण को जाना। बहि:करण में कर्मेन्द्रियों व ज्ञानेन्द्रियों के कार्यों को समझा और अन्त:करण में मन, बुद्धि, अहंकार तथा चित्त की शक्तियों से परिचित हुए। इसी क्रम में आज हम इन करणों का विकास कैसे होता है? इसका उत्तर जानने का प्रयत्न करेंगे। करण अर्थात् साधन, […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-9 (ज्ञानार्जन के साधन : बुद्धि)
– वासुदेव प्रजापति, अब तक हमने जाना कि कर्मेन्द्रियों से ज्ञानेन्द्रियाँ अधिक प्रभावी हैं और ज्ञानेन्द्रियों से मन अधिक प्रभावी है। मन इसलिए अधिक प्रभावी है कि ज्ञानेन्द्रियाँ अपने-अपने विषयों के जो अनुभव प्राप्त करती हैं, मन उन्हें विचारो में रूपान्तरित करता है। रूपान्तरित विचारों से ही ज्ञानार्जन होता है, विचार नही होंगे तो ज्ञानार्जन […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-8 (ज्ञानार्जन के साधन : मन)
– वासुदेव प्रजापति, ज्ञान प्राप्त करने के साधनों में अब तक हमने बहिःकरण के अन्तर्गत कर्मेन्द्रियों एवं ज्ञानेन्द्रियों को समझा। हमने यह भी जाना कि ज्ञान प्राप्त करने के साधनों में बहिःकरणों से अधिक सूक्ष्म एवं प्रभावी साधन अन्तःकरण हैं। आज हम अन्त:करण के प्रथम साधन – ‘मन’ को समझेंगे। मन शब्द से हम सभी […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-7 (ज्ञानार्जन के साधन: अंत:करण)
– वासुदेव प्रजापति, अब तक हमने ज्ञानार्जन के बहिकरण कर्मेन्द्रियों व ज्ञानेन्द्रियों को जाना। ज्ञानार्जन के साधनों को जानने के क्रम में आज हम अन्त:करण अर्थात् भीतरी साधनों को जानेंगे। पहले हम बहिकरण व अन्त:करण के अंतर को जानेंगे। बहिकरण शरीर के बाहरी साधन है, जबकि अन्त:करण शरीर के भीतरी साधन हैं। बाहरी साधन स्थूल […]