– योगेन्द्र भारद्वाज
शोध अध्येता,
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,
नई दिल्ली
सरस्वती विद्या मन्दिर का नाम सुनते ही हमारे मन-मस्तिष्क में सर्वसमावेशी, गुणवत्तापूर्ण और संस्कारित शिक्षा प्रदान करने वाले विद्यालय की परिकल्पना देदीप्यमान होती है। दसवीं-बारहवीं के परीक्षा परिणामों में राज्यीय बोर्डों में विद्या भारती से सम्बन्धित विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा अपना परचम लहराते देखकर इसके सकारात्मक राष्ट्रीय प्रभाव को देखा जा सकता है। अखिल भारतीय स्तर पर विद्या भारती का कठोर अकादमिक और प्रशासनिक श्रम इन सबके पीछे दृष्टिगोचर होता है। अतएव यही कारण है कि आज विद्या भारती द्वारा संचालित 23,320 से अधिक विद्यालयों में राष्ट्रीय स्तर पर 34 लाख से अधिक छात्र-छात्रायें उत्कृष्ट कोटि की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
विद्या भारती की स्थापना 1977 ई. में हुई और वर्तमान में यह शैक्षिक क्षेत्र में भारत का बृहत्तम गैर-सरकारी संगठन बन चुका है। विद्या भारती का शैक्षणिक कार्य भारत के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के अतिरिक्त पूर्वोत्तर और उत्तरी भारत के दुर्गम क्षेत्रों तक विस्तृत रूप से फैल चुका है। यह संगठन हाशिये पर गुजर-बसर कर रहे परिवारों में शिक्षा की ज्योति अनवरत प्रज्ज्वलित कर रहा है ।
पूर्वोत्तर भारत के दुर्गम क्षेत्रों में विद्या भारती की आठ प्रान्तीय समितियां कार्य कर रही हैं। सम्प्रति दुर्गम ग्रामीणांचल और वनांचल परिक्षेत्र में विद्या भारती द्वारा 670 से अधिक विद्यालय सक्रिय हैं, जिनमें लगभग दो लाख से अधिक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के अन्तर्गत भी दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में 550 से अधिक एकल विद्यालयों की स्थापना कर शैक्षणिक कार्य किया जा रहा है। हाल ही में मेघालय राज्य में स्थापित इन्टरमीडियट स्तर का एक आधुनिक विद्यालय इसका उदाहरण है, जो विज्ञान-प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित तकनीकों और लैब आदि की सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सैकडों छात्र-छात्राओं की शैक्षिक व्यवस्था की गई है।
भारतीय शैक्षणिक सन्दर्भ में विद्या भारती शिशुवाटिका, प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय, पूर्ण एवं अर्द्ध-आवासीय विद्यालय और महाविद्यालयों के छात्रों के लिए शिक्षा प्रदान करता है। इस कोरोनाकाल में भी ऑनलाइन शिक्षण (जिसमें यूट्यूब, गूगल मीट, जूम आदि शामिल हैं) के माध्यम से सभी विद्यालयों में सतत शिक्षा प्रदान की जा रही है, जिससे छात्रों की शैक्षिक यात्रा निर्विरोध सुसम्पन्न हो सके। इसी क्रम में यदि शिक्षा में भारतीयता तथा स्वदेशी शिक्षा दर्शन की बात की जाये, तो संघ परिवार का अंग विद्या भारती उच्चकोटि की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में उत्कृष्ट भूमिका का निर्वहन कर रहा है।