– वासुदेव प्रजापति अध्यापन ( पढ़ाना ) अध्ययन अर्थात् पढ़ना और अध्यापन अर्थात् पढ़ाना। पढ़ना और पढ़ाना दोनों एक ही क्रिया के दो पद हैं। इन दोनों में पढ़ना मूल क्रियापद है, जबकि पढ़ाना उसका प्रेरक रूप है। विद्यार्थी पढ़ता है और शिक्षक पढ़ाता है। बिना शिक्षक के पढ़ना तो हो सकता है, परन्तु यदि […]
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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-17 (आदर्श आचार्य)
– वासुदेव प्रजापति भारतीय समाज में आचार्य का स्थान अत्यन्त आदरणीय, पूजनीय एवं श्रेष्ठ माना गया है। सभी प्रकार के सत्तावान, बलवान और धनवान व्यक्तियों से आचार्य का स्थान ऊँचा माना गया है। ज्ञान को, ज्ञानी से अज्ञानी को हस्तान्तरित करके उसे ज्ञानी बनाने की जो व्यवस्था है, वही शिक्षा है। इस शिक्षा क्षेत्र का […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-16 (आदर्श विद्यार्थी)
– वासुदेव प्रजापति “विद्यार्थी” शब्द विद्या और अर्थी इन दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है – विद्या(ज्ञान) प्राप्त करने वाला। अर्थात् जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है, जो जिज्ञासु है, वह विद्यार्थी है। ज्ञान श्रेष्ठ है, ऐसे श्रेष्ठ ज्ञान को छोड़कर केवल धन, प्रतिष्ठा या सत्ता चाहने वाला कभी विद्यार्थी नहीं हो […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-15 (ज्ञान प्राप्त करने की योग्यता)
– वासुदेव प्रजापति अब तक हमने ज्ञानार्जन के करण, करणों का विकास, करणों की सक्रियता, ज्ञानार्जन प्रक्रिया तथा करण- उपकरण विवेक को समझा। आज हम ज्ञान प्राप्त करने की योग्यता क्या होनी चाहिए? इस बिन्दु को समझने का प्रयत्न करेंगे। ज्ञान या विद्या ऐसी अनमोल निधि है, जो किसी अयोग्य के हाथों में नहीं जानी […]
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-14 (करण-उपकरण-विवेक)
– वासुदेव प्रजापति संस्कृत शब्द करण से हम भली-भाँति परिचित हैं। करण के आगे उप उपसर्ग लगने से उपकरण शब्द बनता है। करण का अर्थ मुख्य साधन और उपकरण का अर्थ हुआ सहायक साधन। कर्मेन्द्रियाँ, ज्ञानेन्द्रियाँ, मन, बुद्धि, अहंकार एवं चित्त ये मुख्य साधन हैं। जबकि पैन- पेन्सिल, रबर जैसी लेखन सामग्री एवं पुस्तकें, मानचित्र, […]
অতীতের অনুভব, বর্তমান সমস্যা তথা ভবিষ্যতের আবশ্যকতার উপর গুরুত্ব দিয়ে তৈরী করা হয়েছে রাষ্ট্রীয় শিক্ষা নীতি
শ্রী ডি. রামকৃষ্ণ রাও অধ্যক্ষ, বিদ্যা ভারতী অখিল ভারতীয় শিক্ষা সংস্থানে ছয় বছর ধরে শিক্ষাবিদ, বুদ্ধিজীবী, বিচারক, শৈক্ষিক বিশেষজ্ঞ, প্রশাসক তথা অন্য শিক্ষাক্ষেত্রের হিতগ্রাহিদের পরামর্শ, ভৌগলিক ক্ষেত্রফলের দৃষ্টিতে প্রায় এক লক্ষ গ্রাম পর্যন্ত সম্পর্ক সংবাদ, অসংখ্য সেমিনার, কার্যশালার আয়োজন এবং চর্চার পর বহুপ্রতিক্ষিত রাষ্ট্রীয় শিক্ষা নীতি – ২০২০ এখন ভারত সরকারের অনুমোদনের পর জনতার হাতে […]
অতীতৰ অনুভৱ, বৰ্তমানৰ প্ৰত্যাহ্বান আৰু ভৱিষ্যতৰ আৱশ্যকতাৰ প্ৰতি লক্ষ্য ৰাখি নিৰ্মাণ কৰা হৈছে ৰাষ্ট্ৰীয় শিক্ষা নীতি
শ্ৰী ডি. ৰামকৃষ্ণ ৰাও অখিল ভাৰতীয় অধ্যক্ষ, বিদ্যা ভাৰতী অখিল ভাৰতীয় শিক্ষা সংস্থান যোৱা ছয় বছৰ ধৰি বিভিন্ন শিক্ষাবিদ, বুদ্ধিজীৱী, আলোচক, শৈক্ষিক নেতৃত্ব, প্ৰশাসক তথা শৈক্ষিক জগতৰ অন্যান্য শুভ চিন্তকৰ পৰামৰ্শ, ভৌগোলিক দৃষ্টিৰে প্ৰায় এক লাখ গাঁৱৰ সৈতে কৰা যোগাযোগ, অসংখ্য কৰ্মশালাৰ আয়োজন আৰু আলোচনা-বিলোচনাৰ পাছত বহু প্ৰতীক্ষিত ৰাষ্ট্ৰীয় শিক্ষা নীতি ২০২০ ভাৰত চৰকাৰৰ অনুমোদনৰ […]
Carefully crafted policy by comprehending The Past Experiences, Present Challenges and Future Needs : D. Ramakrishna Rao
Press Statement by Shri D. Ramakrishna Rao, All India President, Vidya Bharati Akhil Bharatiya Shiksha Sansthan After consultation for six long years with academia, intelligentsia, thinkers, education leaders, administrators, other stake holders including responses geographically from more than a lakh villages, and by conducting seminars, workshops, holding discussions at every level, much awaited National Educational Policy – […]