National Education Policy | राष्ट्रीय शिक्षा नीति
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अतीत के अनुभव, वर्तमान की चुनौतियों तथा भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर गढ़ी गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : डी. रामकृष्ण राव

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री डी० रामकृष्ण राव जी का प्रेस वक्तव्य छ: वर्ष तक शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, विचारकों, शैक्षिक नेतृत्वकर्ताओं, प्रशासकों तथा अन्य शिक्षा क्षेत्र के हितग्राहियों के परामर्श, भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से लगभग एक लाख गांवों तक सम्पर्क–संवाद, असंख्य सेमिनारों-कार्यशालाओं के आयोजन और चर्चा के उपरांत बहुप्रतीक्षित […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-13 (करणों की सक्रियता)

 – वासुदेव प्रजापति ज्ञानार्जन के सभी करण जन्म से ही हमें मिल तो जाते हैं, परन्तु जन्म से ये सभी करण सक्रिय नहीं होते, अक्रिय अवस्था में रहते हैं। एक शिशु में जन्म से ही सभी अंग होते तो हैं, परन्तु उनकी सक्रियता क्रमश: आती है। जैसे – जिह्वा होते हुए भी वह बोल नहीं […]

भारतीय शिक्षा के पुरोधा: श्रद्धेय लज्जाराम तोमर
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भारतीय शिक्षा के पुरोधा: श्रद्धेय लज्जाराम तोमर

–ब्रह्माजी राव विद्या भारती अखिल भारतीय मंत्री एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री, विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र किसी भी देश की शिक्षा उस देश के जीवन दर्शन, संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए। तभी वह देश शक्तिशाली, समृद्धशाली होकर सारी मानव जाति और आगे जाकर सम्पूर्ण विश्व ब्रह्माण्ड का संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भूमिका सफलता से पालन […]

भारतीय शिक्षा
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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-12 (करणों का विकास)

-वासुदेव प्रजापति ज्ञानार्जन के करणों में हमने बहि:करण एवं अन्त:करण को जाना। बहि:करण में कर्मेन्द्रियों व ज्ञानेन्द्रियों के कार्यों को समझा और अन्त:करण में मन, बुद्धि, अहंकार तथा चित्त की शक्तियों से परिचित हुए। इसी क्रम में आज हम इन करणों का विकास कैसे होता है? इसका उत्तर जानने का प्रयत्न करेंगे। करण अर्थात् साधन, […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-11 (ज्ञानार्जन के साधन : चित्त)

 – वासुदेव प्रजापति, अन्त:करण का चौथा और अन्तिम साधन है, चित्त। चित्त अद्भुत है, यह बुद्धि व अहंकार से भी सूक्ष्म है। इसे हम एक सफेद पारदर्शी पर्दे जैसा मान सकते हैं, जो होने पर भी कभी न होने का आभास देता है। जिस पर सदैव हमारे द्वारा किये हुए कर्मों की छाप पड़ती रहती […]

Bharatiya way of life
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Relevance of the Bharatiya way of life in the present context-1

 – Vasudev Prjapati– Translated in English by Avnish Bhatnagar The whole world is suffering with covid-19 pandemic. Many a measure are being observed by every country to protect their people from this virus, which include physical distance maintenance, using face mask and washing the hands with soap at regular interval. Despite all these measures, the […]

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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-10 (ज्ञानार्जन के साधन : अहंकार)

 – वासुदेव प्रजापति, ज्ञानार्जन के साधनों में अन्त:करण प्रमुख साधन है। अन्त:करण के चारों साधनों में हमने मन और बुद्धि को जाना। बुद्धि के पश्चात् तीसरा साधन है, अहंकार। आज हम इस तीसरे साधन अहंकार को समझेंगे। अहंकार शब्द में मूल शब्द अहम् है। अहम् का अर्थ है ‘मैं’, अहम् का अर्थ है स्वयं, अहम् […]